वैदिक युग से लेकर आज तक भारत में शिक्षा का मूल तात्पर्य रहा है-
' प्रकाश का वह स्रोत जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हमारा सच्चा पथ प्रदर्शक करती है I'
वह सभी छात्र जो हमारे संस्थान से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं , उन सभी में शैक्षणिक उत्कृष्टता, विकसित व्यक्तित्व , उत्कृष्ट संचार कौशल , नेतृत्व गुण एवं आत्म अनुशासन का विकास हो रहा है।
हमारी पूरी शिक्षक मंडली व सदस्य सभी पृष्ठभूमि के बच्चों को एक मंच पर लाकर सामाजिक , शैक्षिक व तकनीकी ज्ञान देकर समाज में बेहतर भविष्य देने में कार्यरत है । विद्यालय के समृद्ध पाठ्यक्रम में , उन सभी चीजों का समावेश किया गया है जिससे व्यक्तित्व का समग्र विकास हो सके इस आधुनिकीकरण के युग में प्रतिस्पर्धी माहौल की आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु भैया बहनों को बहुमुखी व्यक्तित्व में श्रेष्ठ बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा।
अपना स्पष्ट उद्देश्य है कि हम ऐसे बालक-बालिकाओं का निर्माण कर सकें जो आधुनिकतम ज्ञान में परंपरागत हों तथा जीवन में आने वाली हर प्रकार की चुनौतियों का सामना कर सकें साथ ही समाज के अन्य उपेक्षित और पिछड़े बंधुओं के प्रति उनके मन में सेवा भाव हो राष्ट्र के प्रति भक्ति तथा प्रकृति और पर्यावरण के प्रति जागरूक हों ।